भारत की वर्तमान स्थिति पर paragraph. please help me. I am Mark you as brainlist answer​

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भारत की वर्तमान स्थिति पर paragraph. please help me. I am Mark you as brainlist answer​

Azura 2 years 2021-08-30T11:19:12+00:00 0

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    2021-08-30T11:20:42+00:00

    Explanation:

    सामान्यत:सड़क की ओर आगे देखते हुए ड्राइव करना ही बेहतर होता है लेकिन बीच-बीच में रियरव्यू मिरर में से पीछे झांक लेना भी बेहतर होता है। फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसी ही स्थिति में है।

    भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति उल्लेखनीय रूप में 2002 जैसी है। अर्थव्यवस्था के ऊपरी तथा बड़े स्तरों पर स्थिरता है। फिर भी गतिशीलता घटती जा रही है और बैलेंसशीट का दबाव बढ़ता जा रहा है। अधिक विवरण से दृष्टिपात किया जाए तो ऐसा आभास होगा कि अर्थव्यवस्था के वर्तमान सितारे 15 वर्ष पूर्व की स्थितियों से कितना मेल खाते हैं।

    सबसे पहली तुलना तो यह है कि 2002 में भी एक के बाद एक तिमाही में लगातार आॢथक वृद्धि दर नीचे आती रही थी। बेशक सरकार अपने घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई देती थी तो भी घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय विस्तार की दुहाई मच रही थी।

    दूसरी तुलना यह है कि मुद्रास्फीति हाल ही में अपनी चरम सीमा छूने के बाद नीचे आ गई थी। इस बात को लेकर बहुत जिंदादिली से चर्चा छिड़ी हुई थी कि क्या भारत अपस्फीति से इश्क लड़ा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव डाला जा रहा था।

    दूसरा पहलू यह है कि 2002 में भारतीय अर्थव्यवस्था उस विमान की तरह थी जिसके 2 इंजनों में से केवल एक ही काम कर रहा हो। जितनी भी वृद्धि हो रही थी वह सारी की सारी लगभग उपभोक्ता खपत के कारण ही थी। कुछ हद तक निर्यात का भी योगदान था। लेकिन न तो सरकार का खर्च ही किसी आर्थिक वृद्धि में योगदान दे रहा था और न ही कोई उल्लेखनीय निवेश हो रहा था।

    अब 2007 की स्थिति पर दृष्टिपात करते हैं। तब भारत में आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया बहुत अधिक संतुलित थी। वास्तव में आर्थिक वृद्धि में निवेश गतिविधियों की हिस्सेदारी उपभोक्ता खपत की तुलना में कहीं अधिक थी। सरकारी खर्च का आॢथक वृद्धि में योगदान बहुत मामूली था क्योंकि सरकार की वित्तीय उपलब्धियां टैक्स वसूली के कठोर अभियान का नतीजा थीं न कि आधारभूत ढांचे या पब्लिक सैक्टर में किसी निवेश का। विशुद्ध निर्यात का इसमें योगदान बेशक ऋणात्मक था तो भी वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती भारतीय निर्यात के बढऩे के लिए पर्याप्त गुंजाइश उपलब्ध करवा रही थी।

    वर्तमान आर्थिक परिदृश्य 2007 के बजाय 2002 से अधिक मेल खाता है। एक बार फिर आॢथक वृद्धि उपभोक्ता मांग के कंधों पर सवार होकर आगे बढ़ रही है। हालांकि सरकारी खर्च भी अर्थव्यवस्था को स्वस्थ बनाने में छोटी-सी भूमिका अदा कर रहा है। जहां तक निवेश और निर्यातों के योगदान का सवाल है, वह किसी भी तरह उल्लेखनीय नहीं।

    10 महीनों दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी कारकों द्वारा 2 बड़े झटके दिए गए। एक कारण तो था नोटबंदी और फिर दूसरा झटका तब लगा जब नए जी.एस.टी. कानून की ओर बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई। जैसे-जैसे इन दोनों झटकों के प्रभाव क्षीण होते जाएंगे, अर्थव्यवस्था कुछ तेजी पकडऩी शुरू कर देगी।

    लेकिन इसी बीच इतिहास से भी कुछ महत्वपूर्ण सबक सीखने होंगे। भारत 3 मुख्य चालक शक्तियों के बिना अपनी वृद्धि दर की संभावनाओं को साकार नहीं कर सकता। वे चालक शक्तियां हैं : प्राइवेट सैक्टर में निवेश की दृष्टि से जोरदार बहाली, निर्यात में धमाकेदार वृद्धि तथा घरेलू बजट की ऊंची दर। पायदार आर्थिक विकास हेतु भारत की वृद्धि दर में कुछ प्रतिशत अंकों की अतिरिक्त बढ़ौतरी दरकार है लेकिन उपरोक्त तीनों चालक शक्तियों में ही इसकी कुंजी छिपी हुई है।

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    2021-08-30T11:20:58+00:00

    Answer:

    भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद भले ही कृषि क्षेत्र हो. लेकिन, वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के पीछे मिडिल क्लास और लोअर मिडल क्लास का सबसे बड़ा हाथ है. यही कारण है कि भारत को एक ‘मिडिल इनकम ग्रुप’ की अर्थव्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है. कोविड-19 के जारी वैश्विक संकट के बीच भारतीय परिदृश्य में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे अधिक चर्चा दो पहलुओं पर हो रही हैं.

    पहला, भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर आबादी यानी किसान, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर, दैनिक मजदूरी के लिए शहरों में पलायन करने वाले मजदूर और शहरों में सड़क के किनारे छोटा-मोटा व्यापार करके आजीविका चलाने वाले लोग.

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    दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादन करने वाले यानी वह क्षेत्र जो इस देश में पूंजी और गैर-पूंजी वस्तुओं का उत्पादन करता है. सामान्य भाषा में कहें तो मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर या बिजनेस सेक्टर.

    दुनियाभर की सरकारें इन दोनों ही पहलुओं पर काम कर रही हैं. सरकारों ने अपने देश में स्थिति से निपटने के लिए बड़े राहत पैकेज का एलान किया है और उसी क्रम में भारत सरकार ने भी गरीबों की मदद के लिए एक बड़े पैकेज का एलान किया है.

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    सरकार ने पहले चरण में जो राहत पैकेज जारी किया है वह पूरी तरीके से कमजोर और असंगठित क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के निवारण के लिए है. कोरोना वायरस की वजह से आए आर्थिक संकट से जूझ रहे इस तबके के लिए सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है.

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