इस पंक्ति का सप्रषंग व्याख्या कीजिए?एक भरोसे एक बल एक आस विश्वास एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास
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इस पंक्ति का सप्रषंग व्याख्या कीजिए?एक भरोसे एक बल एक आस विश्वास एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास
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Answer:
तुलसीदास जी कहते हैं कि मुझे अपने इष्ट श्रीराम पर पूरा भरोसा है। एक ही बल, एक ही आशा और एक उन्हीं पर अटूट विश्वास है; ठीक वैसे ही जैसे कि भगवान श्री रघुनाथजी यदि स्वाति नक्षत्र का जल है, तो तुलसीदास चातक पक्षी की तरह है।
Answer:
प्रस्तुत दोहे में तुलसीदासजी कहते हैं कि केवल एक ही भरोसा है, एक ही बल है, एक ही आशा है । और एक ही विश्वास है। एक रामरूपी श्यामघन ( मेघ ) के लिए ही यह तुलसीदास चातक बना हुआ है।।