4. “अँखियाँ हरि दरसन की भूखी। कैसे रहें रूप रस राँची ए बतियाँ सुनि रूखी।। अवधि गनत इकतात मग जोबत तब अति नही झुकी अनिल जोग संदेश सन

Question

4. “अँखियाँ हरि दरसन की भूखी। कैसे रहें रूप रस राँची ए बतियाँ सुनि रूखी।। अवधि गनत इकतात मग जोबत तब अति नही झुकी अनिल जोग संदेश सन उन होती गुलामी दुखी का संदर्भ व्याख्या

Alma 2 years 2021-08-23T03:59:32+00:00 0

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    2021-08-23T04:00:47+00:00

    Answer:

    ज़्फ्द्फ्ग्फ्घ्म्म्ह्ज्ब्ब्व्ज्द्म्ब्।व्न्क्ष्

    व्च्न्क्ष्क्ष्क्ष्ध्दद्ण्घ्ज्घ्च्क्ग्च्ग्क्ग्ग्ज्क्ष्ग्क्ष्ग्क्ष्म्ज़्न्ग्घ्ह्क्ष्ग्फ्द्ग्

    Explanation:

    म्ब्च्क्ष्च्म्फ्ह्न्व्ताओफद्ज्जद्ज़्म्ज़्न्क्ष्.व्व्न्ज़्ब्न्ज़्भ्क्ध्द्फ्श्न्व्व्ब्द्क्द्ज्स्फ्ख्स्श्स्फगाद्स्फ्सफ्स्ज्फ्सश्फफ्फ्च्क्क्क्क्ज़्ब्म्ज़्क्ष्म्ह्ग्य्फ्फिग्

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