गद्यांश – 2
व्यक्ति के जीवन में हार-जीत, सफ़लता-असफ़लता, लाभ-हानि, यश-अपयश, मान-अपमान आदि सभी होते हैं । जीवन
में सुख के
गद्यांश – 2
व्यक्ति के जीवन में हार-जीत, सफ़लता-असफ़लता, लाभ-हानि, यश-अपयश, मान-अपमान आदि सभी होते हैं । जीवन
में सुख के बाद दुख आता है और दु:ख के बाद सुख आता है। यदि व्यक्ति का मन दु:ख और असफ़लता से निराश हो जाए, तो वह
उन्नति नहीं कर सकता क्योंकि किसी कार्य की सफ़लता में मन की सफ़लता की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि प्रतिकूल स्थितियों
में भी मन स्थिर रहता है, तो स्थितियाँ अपने आप अनुकूल बन जाती हैं । इसलिए हमें कभी निराश होकर हार नहीं माननी चाहिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें-
(क) व्यक्ति के जीवन में क्या-क्या होता है ?
(ख) जीवन में सुख के बाद और दु:ख के बाद क्या आता है ?
ग) व्यक्ति कब उन्नति नहीं कर सकता?
(घ) प्रतिकूल स्थितियों में मन की स्थिरता से क्या होता है ?
(ङ) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
Answers ( )
Explanation:
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, यानी संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गॉंव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियां हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर में सुई-धागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर पर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना, दोपहर के पहले लौटना असंभव है।
लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं, लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोजे बड़े-बूढ़ो के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद
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i n s t a dgaurab122